भारत और पाकिस्तान की दवा कंपनियां बनाएंगी कोविड-19 की दवा

generic drug manufacturing companies from India, Pakistan will make medicines for Covid-19

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Vaccine medicine Drugs Injection
Picture: Pixabay

Last Updated on January 14, 2024 by The Health Master

भारत और पाकिस्तान की दवा कंपनियां बनाएंगी कोविड-19 की दवा

बुधवार को ये ख़बर सामने आई कि अमरीकी फार्मा कंपनी गिलियाड कोविड-19 का इलाज बताई जा रही रेमडेसिविर दवा का अगले तीन महीनों में जितना उत्पादन कर सकेगी, अमरीका ने लगभग इस पूरी खेप को खरीदने का सौदा पहले ही कर लिया है.लेकिन भारत, पाकिस्तान और मिस्र की कुछ दवा निर्माता कंपनियों को रेमडेसिविर के जेनरिक वर्जन के उत्पादन का लाइसेंस दिया गया है.

अभी तक हुए रिसर्च से ये बात सामने आई है कि रेमडेसिविर के इस्तेमाल से मरीज़ जल्दी ठीक हो रहे थे. हालांकि फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि संक्रमित व्यक्ति के जीवित बचने की संभावना में इस दवा से किस हद तक सुधार होता है. हैदराबाद की हेटेरो लैब्स ने बीबीसी तेलुगू की संवाददाता दीप्ति बथिनी को बताया कि कंपनी ने इसके जेनरिक वर्जन का उत्पादन पहले ही शुरू कर दिया है.कंपनी का कहना है कि रेमडेसिविर के जेनरिक वर्जन के 30 हज़ार वायल्स (छोटी शीशी) की आपूर्ति देश भर के अस्पतालों को की जा चुकी है.

कंपनी की योजना अगले दो हफ़्तों में एक लाख वायल्स के उत्पादन की है. उधर, पाकिस्तान में स्वास्थ्य विभाग को उम्मीद है कि जल्द ही ये दवा स्थानीय बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगी. अधिकारियों ने बीबीसी संवाददाता उमर दराज़ नंगियाना को बताया कि दवा कंपनी फिरोज़संस लैबोरेटरीज़ इसका उत्पादन कर रही है और ये 15 जुलाई तक उपलब्ध हो जाएगा. गिलियाड ने जेनरिक दवा बनाने वाली कंपनियों से इसके उत्पादन का करार किया है ताकि कम आमदनी वाले 127 देशों को इसकी आपूर्ति की जा सके.

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कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में दहशत फैला रखी है और सभी को इंतज़ार है, उस एक जाँची-परखी वैक्सीन या दवा का जो कोरोना वायरस से बचा जा सके. भारत समेत दुनिया के कई देशों में उस एक दवा / वैक्सीन बनाने के दर्जनों क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं. इसी बीच भारत की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी का ‘कोरोना को ठीक करने वाले इलाज’ का दावा भी आया जिसे भारत सरकार ने फ़िलहाल ‘ठंडे बस्ते’ में डाल दिया और अब दावे की ‘गहन जाँच’ चल रही है. पतंजलि ग्रुप पर इस ‘दवा के नाम पर फ़्रॉड’ करने के आरोप में चंद एफ़आईआर भी दर्ज हो चुकी हैं.

कैसे होता है क्लीनिकल ट्रायल

मामले की पड़ताल से पहले ये समझना ज़रूरी है कि भारत में किसी दवा के क्लीनिकल ट्रायल के लिए क्या करना पड़ता है: सबसे पहले ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीजीसीआई (DGCI) की इजाज़त चाहिए. इसके बाद उन सभी संस्थाओं की एथिक्स कमिटी की इजाज़त चाहिए जहाँ ये ट्रायल होंगे. इसके बाद क्लीनिकल ट्रायल कराने वाली कंपनी को इंडियन काउंसिल ओफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर (ICMR) की देख-रेख में चलाई जाने वाली ‘क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री- इंडिया’ यानी सीटीआरआई (CTRI) नाम की वेबसाइट पर ट्रायल से जुड़ी पूरी प्रक्रिया, संसाधन, नाम-पाते और फ़ंडिंग तक का लेखा-जोखा देना होता है.

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