अम्बाला: देश ही नहीं, पूरे विश्व मे कोरोना महामारी ने लोगों व प्रशासन की नींद हराम की हुई है। वहीं कई इस महामारी को धनाढ्य होने का मौका समझ काम कर रहे हैं। औषधि प्रशासन हरियाणा (FDA Haryana) ने प्रदेशवासियों की स्वास्थ्य सुरक्षा के मध्यनजर पूरे प्रदेश में सेनेटाइजर की गुणवत्ता जानने के लिए सैम्पलिंग अभियान चलाया।
इसकी रिपोर्ट पर राज्य के स्वास्थ्यमंत्री अनिल विज ने समीक्षा करने व सेनेटाइजर निर्माताओं की कार्यकुशलता की नब्ज टटोलने के लिए चंडीगढ़ कार्यालय में राज्य औषधि नियंत्रक नरेन्द्र आहूजा से विस्तृत चर्चा की। इसमें प्रत्येक सैम्पल के पास प्रतिशत व फेल होने के कारणों व विभाग द्वारा लिए गए एक्शन पर रिपोर्ट पर बारीक नजर दौड़ाई।
स्वास्थ्य मंत्री ने कड़े कदम उठाने का मशविरा देते हुए कहा कि लोगों का जमीर मर चुका है क्या, जो उत्पाद पर अपना नाम ही नहीं लिखते। ऐसा उत्पाद बिकता ही क्यों है? दवा व्यवसाइयों को चौकन्ना रहना होगा। वे जाने-अनजाने गलत विचारधारा वालों को बढ़ावा ना दें। दूसरा, ऐसे सेनेटाइजर निर्माताओं को ढूंढ निकालो जो न तो अपना नाम लिखते हैं और न ही लिखे अनुसार रॉ मेटीरियल ही डालते हैं।
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अत्यंत गम्भीर बात है कि लिखा एथेनॉल है परन्तु डाला मेथेनॉल है। वह भी 36.45 फीसदी से 40.56 फीसदी तक जो कोरोना के बेक्टीरिया को मारने में सक्षम नहीं है ,जबकि होना 60 फीसदी से अधिक चाहिए । टोकियो, जापान से मिली तकनीक से बन रहे सेनेटाइजर भी कहाँ खरे उतरे, वे क्लेम तो कर रहे हैं 94 फीसदी का टेस्टिंग में निकल रहा है 70.8 फीसदी शायद विदेश में भी गुणवत्ता से समझौता किए जाने की प्रथा काम कर रही है जो भारत आते आते रंग भी बदल गई।
इन्होंने भी मेथेनॉल 94 फीसदी डाला हुआ क्लेम किया डाला 70.8 फीसदी एथेनॉल है। कैथल के सेनेटाइजर निर्माता ने तो मेथेनॉल की मात्रा 94 फीसदी लिखा और 56.8 फीसदी निकला एथेनॉल। इसी कम्पनी के दूसरे सैम्पल उत्पाद में 70 फीसदी मेथेनॉल के स्थान पर 47.2 फीसदी एथेनॉल निकला।
इन पांचों पर एफडीए हरियाणा ने एफआईआर दर्ज करवा दी है। शेष 9 सेनेटाइजर उत्पादों जो सीएम सिटी करनाल के एक ही निर्माता द्वारा बनाए गए जिनमें लिखा तो मेथेनॉल 80 फीसदी था परन्तु निकली मात्रा 62.39 फीसदी से 67.67 फीसदी तक एथेनॉल की। इसके चलते इस सेनेटाइजर निर्माता को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।
इस ड्राइव में कुल 248 सैम्पल लिए गए जिनमें से 123 सैम्पल अभी तक जांचे गए। इनमें से 109 उच्च गुणवत्ता के पाए गए 14 सैम्पल निम्न स्तर के मिले हैं।
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