लखनऊ। अस्पतालों को ‘रेमडेसिविर’ दवा की डोज का हिसाब देना होगा। कोरोना के किस मरीज को कब दवा दी गई, इसका पूरा खाका जमा करना होगा। वहीं, बेवजह दवा खरीदकर डंप करने पर पाबंदी है। ड्रग कंट्रोलर, यूपी ने दवा की कालाबाजारी रोकने के सख्त निर्देश जारी किए हैं।
इसके लिए आधार कार्ड भी अनिवार्य कर दिया है। राज्य में कोरोना का प्रकोप चरम पर है। वहीं राजधानी में भी वायरस कहर बरपा रहा है। तीन सौ से ज्यादा मरीजों की महामारी ने जिंंदगी भी छीन ली है। उधर, शहर के केजीएमयू-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, पीजीआइ व निजी कोविड अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों का भर्ती होना जारी है।
कोविड के इन गंभीर मरीजों में ‘रेमडेसिविर’ दवा की डोज भी दी जाने लगी है। फार्मा कंपनियों ने जुलाई के तीसरे हफ्ते से राज्य में ‘रेमडेसिविर’ की आपूर्ति शुरू की। मगर, अभी भी पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्धता चुनौती बनी हुई है। उधर, दवा की कालाबाजारी का भी खतरा मंडरा रहा है।
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लिहाजा, ड्रग कंट्रोलर यूपी एके जैन ने ‘रेमडेसिविर’ की आपूर्ति बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। वहीं फार्मा कंपनियों के लिए ‘रेमडेसिविर’ व मरीज का पूरा हिसाब रखना भी अनिवार्य कर दिया है। ‘रेमडेसिविर’ का निर्माण कंपनियां बढ़ा रही हैं। यूपी में तीन फार्मा कंपनियों ने दवा की आपूर्ति की है।
इसमें दो कंपनियों का उत्पाद ज्यादा आया है। कंपनी दवा देने से पहले मरीज का नाम, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, कोविड सेंटर का नाम, दवा देने वाले डॉक्टर का परामर्श फॉर्म लेंगी। इसके साथ ही मरीज या परिजनों से दवा की डोज देने का सहमति लेना होगा।
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