Last Updated on October 28, 2022 by The Health Master
नई दिल्ली। आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कम कीमत वाली में ब्रेन तकनीक विकसित कर मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली दवा और एंटी एजिंग (Anti aging) कंपाउंड तैयार किए हैं।
इन दवाओं को कृषि संसाधनों का इस्तेमाल कर बनाया गया है।
इसका फायदा यह होगा कि आने वाले समय में दिमाग और एंटी-एजिंग दवाओं की कीमतों को कम करने में इससे मदद मिलेगी। दरअसल इस तकनीक का विकास आईआईटी गुवाहाटी के पर्यावरण केंद्र के प्रमुख और रासायनिक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर मिहिर कुमार पुरकैट ने एम. टेक के छात्र वी. एल. धाडगे के साथ मिलकर किया है।
पुरकैट ने बताया कि दिमाग को प्रभावित करने वाली दवाएं और एंटी एजिंग कंपाउंड एंजाइम एक्टिविटी का शुद्धिकरण करते हैं। ये कम मात्रा में बांस की पत्तियों, अंगूर, सेब और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में भी पाए जाते हैं।
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जो तकनीक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हैं, वे विभिन्न महंगे जैव विलयक जैसे-क्लोरोफॉर्म, एसीटोन, एसीटोनाइट्राइल का प्रयोग करते हैं और इस कारण इन दवा सामग्रियों की कीमत ज्यादा हैं, जिसके कारण एंटीऑक्सीडेंट की कीमत ज्यादा हो जाती है।
साथ ही पुरकैट ने बताया किकम कीमत वाली इस तकनीक में किसी कम कीमत वाले कॉर्बनिक विलायक द्रव का प्रयोग नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि विकसित प्रौद्योगिकी विशेष तौर पर सूक्ष्म कणों वाली है, जिन्हें दबाव डालकर मेंब्रेन अलगाव प्रक्रिया से तैयार किया गया है। उपयुक्त मेंब्रेन इकाई के हिस्सों का शीतलन कर पाउडर की तरह उत्पाद तैयार कर लिया जाता है।
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