Last Updated on October 26, 2024 by The Health Master
नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का पहला मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग (Health Department) एक्शन में आ गया है. देश में मंकीपॉक्स का यह चौथा मामला है.
इससे पहले भारत में मंकीपॉक्स के जो तीन मामले मिले थे, वे सभी केरल के थे. 24 जुलाई 2022 को राजधानी में मंकीपॉक्स का पहला मामला दर्ज किया गया. दिल्ली में मिले इस मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है.
इस शख्स को यह बीमारी स्थानीय संक्रमण से हुई है. कुछ दिन पहले ही यह शख्स हिमाचल प्रदेश से लौटा है. वहीं, केरल में इस बीमारी के जो मामले सामने आए हैं, वे सभी संयुक्त अरब अमीरात से आए थे.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि:
- क्या मंकीपॉक्स वायरस कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लेने वाले शख्स को भी हो सकता है?
- इस बीमारी की चपेट में पहले कौन आ सकता है?
- मंकीपॉक्स के लक्षण वाले मरीजों के ब्लड सैंपल जांच के लिए कहां भेजे जाते हैं?
- इस बीमारी की पुष्टि होने में कितने दिनों का वक्त लगता है?
- क्या हैं मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण और लक्षण दिखने के बाद मरीज को सबसे पहले कहां जाना चाहिए?
- साथ ही इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति कितने दिनों के बाद ठीक हो जाता है?
दिल्ली में मिले मंकीपॉक्स के एकमात्र मरीज का इलाज लोक नायक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के 7वें फ्लोर पर किया जा रहा है. यह मरीज फिलहाल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है और मरीज ठीक होने लगा है.
एलएनजेपी अस्पताल में मंकीपॉक्स मरीजों के लिए नियुक्त किए गए नोडल ऑफिसर डॉ. विनीत रेलहन न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं. “34 साल का यह शख्स करीब तीन दिन पहले ही एलएनजेपी अस्पताल में मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण दिखने के बाद भर्ती कराया गया था.
मरीज के नमूने शनिवार को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे भेजे गए थे. शख्स के ब्लड सैंपल की जांच के बाद नमूने पॉजिटिव पाए गए. हालांकि, इस व्यक्ति का विदेश से यात्रा करने का कोई इतिहास नहीं है.
इस शख्स को बुखार और त्वचा के घावों के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यह मरीज अब ठीक हो रहा है और किसी भी तरह का खतरा नजर नहीं आ रहा. मरीज ठीक है.”
दिल्ली में मिले मंकीपॉक्स के एकमात्र मरीज का इलाज लोक नायक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के 7वें फ्लोर पर किया जा रहा है.
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स वायरस से फैलने वाली बीमारी है. यह एक वायरल जूनोटिक संक्रमण है, जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है.
यह मुख्य रूप से पश्चिमी अफ्रीकी देशों मुख्य रूप से नाइजीरिया और कांगो में कृन्तकों से मनुष्यों में प्रेषित किया गया था. इस बीमारी को मंकीपॉक्स कहा जाता है, क्योंकि इसकी पहचान पहली बार 1958 में ज़ैरे (अब कांगो) में अनुसंधान के लिए रखी गई बंदरों की कॉलोनियों में हुई थीं. यह बाद में 1970 में मनुष्यों में पाया गया था.
शरीर के किस अंग से ज्यादा फैलता है
वर्तमान में यह महामारी मुख्य रूप से शरीर के यौन मार्ग के माध्यम से मानव से मानव शरीर में फैलता है. इस बीमारी का फैलने का सबसे आसान तरीका संपर्क और यौन मार्ग है. दुनिया में सबसे ज्यादा मामले समलैंगिक में देखे गए हैं.
इसलिए इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा इन्हीं वर्ग को है. इसके साथ ही यह बीमारी जैसे मुंह से मुंह, त्वचा का सीधा संपर्क, फोमाइट्स के जरिए भी आप संक्रामित हो सकते हैं. इसमें त्वचा में घाव, पुटिका द्रव, पपड़ी के टुकड़े अत्यधिक संक्रामक होते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स (Monkeypox) को ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित किया है.(Symbolic Image)
इस बीमारी के प्रमुख लक्षण
बुखार, पीठ दर्द, गहरी कमजोरी, खरोंच. इस बीमारी से लसीका ग्रंथियां सूज जाती हैं. इसके बाद या एक दाने के विकास के साथ होता है जो दो से तीन सप्ताह तक रह सकता है. चेहरे, हथेलियों और तलवों पर वैस्कुलर रैशेज हो जाते हैं. दाने ट्रंक को बख्शते हैं. लक्षण आमतौर पर दो से तीन सप्ताह तक चलते हैं. 6 से 13 दिन में संक्रमण ठीक हो जाता है.
इस बीमारी का भारत में इलाज, प्रयोगशाला और दवा
इस बीमारी के लक्षण वाले मरीजों का सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) भेजा जाता है. भारत में एकमात्र यह लैब है, जहां मंकीपॉक्स के मरीजों की पुष्टि होती है.
कई प्रभावी एंटी-वायरल दवा इस बीमारी में काम आती हैं. टेकोविरिमैट नाम की दवा फिलहाल भारत में इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही है. मंकीपॉक्स से ग्रसित मरीज आमतौर पर 45 साल से ज्यादा उम्र के होते हैं या फिर 45 साल से नीचे के लोग इस बीमारी की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं, जिन्होंने चेचक का टीका अभी तक नहीं लिया है.
शख्स को एक साथ कोरोना और मंकीपॉक्स दोनों का संक्रमण (News18)
कौन सी वैक्सीन है कारगर?
चेचक का टीका 85% मामलों में मंकीपॉक्स के खिलाफ क्रॉस इम्युनिटी प्रदान करता है. 50 और 40 के दशक के अंत में दो बड़े चेचक के टीकाकरण के निशान वाले लोगों को संरक्षित किया जा सकता है.
देश में कोरोना काल में ज्यादातर जनसंख्या की प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है. 70 के दशक के अंत में चेचक के टीकाकरण को छोड़ दिया गया था. जानकार मानते हैं कि यह मंकी पॉक्स से सुरक्षित क्रॉस करता है.
इस बीमारी से बचाव और उपचार
आपके शरीर में अगर घाव है तो घर से बाहर न निकलें. सभी घावों के ठीक होने तक रोगी को आइसोलेट रहना चाहिए. लंबी बाजू और लंबी पैंट जैसे कपड़े पहनने चाहिए. साथ ही ट्रिपल लेयर मास्क भी हर वक्त उसके पास होना चिहिए.
इसके साथ ही बुखार की दवा, अच्छा आहार, घावों पर कैलामाइन लोशन एंटी वायरल को इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड और कुपोषितों के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए, जिनमें जटिलताएं होने की संभावना है.
इसके साथ ही एचसीडब्ल्यू का संरक्षण, मास्क, पीपीई किट, हाथ धोना, साबुन के पानी से बार-बार हाथ धोना, 1% सोडियम हाइपोक्लोराइट का उपयोग कर कीटाणुशोधन कपड़े और लिनन का उचित निपटान किया जाना चाहिए.
मुख्य रूप से पश्चिमी यूरोप, अफ्रीकन कंट्री में यह बीमारी ज्यादा फैल रही है.
यह बीमारी दुनिया के लगभग 77 देशों में फैल चुकी है. अब तक लगभग 16000 से अधिक मामले आ चुके हैं. मुख्य रूप से पश्चिमी यूरोप, अफ्रीकन कंट्री में यह बीमारी ज्यादा फैल रही है.
देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला 14 जुलाई को दक्षिण केरल के कोल्लम जिले में सामने आया था. दूसरा मामला 18 जुलाई को और तीसरा मामला 22 जुलाई को केरल में ही सामने आया था. तीनों शख्स विदेश की यात्रा कर लौटे थे.
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