अहमदाबाद (गुजरात)। फार्मा उद्योग के लिए राहत भरी खबर है। गुजरात में मिथाइलकोबालिन (विटामिन बी 12) के निर्माण पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। दरअसल, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के वैज्ञानिक पैनल ने मिथाइलकोबालमिन को न्यूट्रास्यूटिकल के रूप में शामिल किया है।
यहां बता दें कि खाद्य और औषधि नियंत्रण प्रशासन (एफडीसीए) आयुक्त, गुजरात ने जून 2019 में एक पत्र जारी कर मेथिलकोबालिन के निर्माण पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
पिछले सप्ताह, केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने एफएसएसएआई से मानदंडों के उल्लंघन में चिकित्सीय हस्तक्षेप के लिए मिथाइलकोबालिन के निर्माण और बिक्री के लिए गुजरात स्थित निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था।
एफएसएसएआई को लिखे एक पत्र में, सीडीएससीओ ने ध्यान दिलाया था कि मिथाइलकोबालमिन युक्त उत्पाद के विभिन्न ब्रांड एफएसएसएआई लाइसेंस के तहत चिकित्सीय हस्तक्षेप से निर्मित और बेचे जाते हैं।
फार्मा सलाहकार डॉ. संजय अग्रवाल ने बताया कि प्रतिबंध लगने के बाद से उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा बार-बार किए गए पत्राचार के बाद आखिरकार केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और गुजरात राज्य औषधि नियंत्रण विभाग से वांछित परिणाम मिला है।
डॉ. संजय अग्रवाल ने बताया कि उन्हें एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल नेे मेल के जरिए सूचित किया है कि मिथाइलकोबालिन को गजट में शामिल करने के लिए एक प्रक्रिया से गुजरना है और कुछ समय की आवश्यकता होगी। अत: मिथाइलकोबालिन के निर्माण के अपू्रवल संबंधी सूचना जल्द जारी कर दी जाएगी।
गौरतलब है कि मिथाइलकोबालिन को मेकोबालामिन या मिथाइल बी-12 के रूप में भी जाना जाता है। यह अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन बी-12 का एकमात्र रूप है जो जैव-परिवर्तन के बिना रक्त मस्तिष्क की बाधा को पार कर सकता है।
इसका मिथाइल समूह सेरोटोनिन स्राव को उत्तेजित करता है। एक न्यूरो-ट्रांसमीटर जो मूड बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है और मस्तिष्क को उत्तेजक न्यूरोट्रांसमीटर के खिलाफ क्षति से बचाता है।