Last Updated on December 17, 2019 by The Health Master
नई दिल्ली। दवा दुकानदारों के लिए खास खबर है। अब दवा से जुड़े नियमों में बदलाव होने जा रहा है। कई दवाएं ऐसी है जिनका नाम और उनकी पैकेजिंग बिल्कुल एक जैसी होती हैं। जिस वजह से लोग इन दवाइयों में अन्तर नहीं कर पाते है और इस वजह से अलग दवा खा लेते हैं। ऐसी कई दवाएं हैं जिनके ब्रांड नाम तो एक है, लेकिन वे एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। मेडजोल इसका उदाहरण है। इस ब्रांड नाम की कई अलग-अलग दवाएं हैं। ऐसे में गलत दवा के इस्तेमाल की आंशका रहती है।
इसलिए अब सरकार इसको दूर करने के लिए दवा कंपनियों को अलग-अलग दवाओं के लिए एक ही ब्रांड नाम का इस्तेमाल करने रोकेगी। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स में संशोधन करने का फैसला किया है। इसमें सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को दवाओं के ब्रांड नाम के नियमन का अधिकार देने वाला प्रावधान शामिल किया जाएगा। कंपनियों को दवाओं के जेनरिक नाम के लिए एप्रूवल दी जाती है। इससे एक ही नाम की दो दवाओं की गुंजाइश बन जाती है।
नए नियम के वजूद में आ जाने पर कंपनियों को दवा के ट्रेड नाम को भी रजिस्टर्ड कराना होगा। उन्हें सरकार को यह भी बताना होगा कि उनकी जानकारी के मुताबिक बाजार में उस ब्रांड नाम की दूसरी दवा बाजार में नहीं है। दवा कंपनी को इस बारे में लाइसेंसिंग अथॉरिटी को फॉर्म15 में हलफनामा सौंपना होगा। इसमें स्पष्ट तौर पर इसका उल्लेख होगा कि उस ब्रांड नाम से कोई दूसरी दवा नहीं है।
यह भी बताना होगा कि वह जिस ब्रांड नेम का इस्तेमाल कर रही है, उससे ग्राहकों के बीच किसी तरह की उलझन नहीं होगी। बता दें कि अभी दवा के ट्रेड नाम पर न तो लाइसेंसिंग अथॉरिटी और न ही ट्रेडमार्क ऑफिस का नियंत्रण है। इससे कंपनियों को एक जैसे ब्रांड नाम से अलग-अलग तरह की दवाओं को बनाने और बेचने का मौका मिल जाता है।