डिप्लोमा इन फार्मेसी कोर्स करने के बाद प्रेक्टिकल ट्रेनिंग देने वाले मेडिकल स्टोर को अब फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से अनुमति लेनी पड़ेगी। इसके बाद ही विद्यार्थियों को प्रेक्टिकल ट्रेनिंग दे सकेंगे।
पीसीआई से अनुमति नहीं लेने पर किसी भी काउंसिल में फार्मासिस्ट का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। यह निर्णय सेन्ट्रल काउंसिल के सदस्यों की बैठक में लिया गया है।
प्रेक्टिकल ट्रेनिंग में प्रेस्क्रिप्शन को ठीक तरह से पढक़र दवाओं की डोज, मरीजों को दवा का वितरण करना जैसे कार्य शामिल है।
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की रजिस्ट्रार कम सचिव अर्चना मुदग्ल ने इस संबंध में सर्कुलर जारी किया है। यह नियम राजस्थान समेत पूरे देशभर में लागू किया गया है। यही नहीं, पीसीआई नई दिल्ली ने सत्र 2020-21 से देश में नए कॉलेजों को मान्यता देने पर अगले पांच साल तक रोक लगा दी है।
केन्द्र सरकार को प्रेक्टिकल ट्रेनिंग देने वाले मेडिकल स्टोर पर बिना उपस्थिति और कार्य अनुभव के ही प्रमाण पत्र देने की शिकायत मिली है। निर्धारित अवधि में आने वाले मरीजों को दवा वितरण, पेशेंट काउंसलिंग, किस बीमारी में कितनी डोज और बीमारियों में इस्तेमाल की जाने वाले टेबलेट, सिरप, आई ड्राप की जानकारी नहीं होना है। अब पूरी तरह से निगरानी हो सकेगी और शिकायतों का समाधान हो सकेगा।
फार्मेसी प्रेक्टिस रेग्यूलेशन 2015 के तहत डिप्लोमा करने के बाद फार्मेसी, केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट से 90 दिन या 500 घंटे की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है। प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही काउंसिल में रजिस्ट्रेशन हो सकता है। बिना प्रेक्टिकल ट्रेनिंग के पंजीकरण नहीं करा सकते। देशभर में 3 हजार संस्थान संचालित है, जहां से हर साल एक लाख 80 हजार 770 स्टूडेंट कोर्स करके निकलते है।