कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया बेहाल हो चुकी है. अब तक पूरी दुनिया में इस वैश्विक महामारी (Pandemic) से 2,84,712 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इनमें 11,842 गंभीर बीमार लोगों की मौत हो चुकी है. भारत (India) में भी अब तक 280 से ज्यादा पॉजिटिव मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें 5 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, संक्रमण (Infection) से डरा हुआ हर व्यक्ति यही जानना चाहता है कि इसकी कोई दवा (Drug) या वैक्सीन (Vaccine) कब तक तैयार हो जाएगी. ऐसे में फ्रांस (France) ने दावा किया है कि उसने इस वायरस की नई दवा खोज ली है. शुरुआती परीक्षण में पता चला है कि इस दवा से 6 दिन के भीतर संक्रमण को गंभीर स्थिति में पहुंचने से रोका जा सकता है.
फ्रांस के इंस्टीट्यूट हॉस्पिटलो यूनिवर्सिटी के संक्रमण बीमारियों के विशेषज्ञ रिसर्च प्रोफेसर डिडायर राओ ने दावा किया है कि उन्होंने नई दवा का सफल परीक्षण कर लिया है. उन्होंने दवा के ट्रायल्स का एक वीडियो भी शेयर किया है. उन्हें फ्रांस की सरकार ने COVID-19 के संभावित इलाज (Treatment) पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. उन्होंने पहले संक्रमित व्यक्ति के इलाज के लिए क्लोरोक्विन (Chloroquine) की डोज दी. इससे उसकी हालत में बहुत तेजी से प्रभावी सुधार हुआ. बता दें कि इस दवा का सामान्य तौर पर मलेरिया (Malaria) के बचाव और इलाज में इस्तेमाल किया जाता है.
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प्रोफेसर राओ ने इसके बाद 24 संक्रमित लोगों की सहमति लेकर इस दवा के जरिये इलाज किया. उन्हें हर दिन 600 mcg क्लोरोक्विन 10 दिन तक दी गई. इस दौरान संक्रमित लोगों में होने वाले बदलावों पर नजर रखी गई. डॉक्टरों को डर था कि कहीं ये दवा दूसरी दवाओं के साथ देने पर मरीजों की हालत और गंभीर न कर दे. प्रोफेसर राओ ने बताया कि ये संक्रमित मरीज नीस और एविग्नन टाउन से थे, जहां के लोगों को अब तक इलाज नहीं मिल पाया है.
Medइस दौरान हमने पाया कि जिन मरीजों को क्लोरोक्विन नहीं दी गई उनकी स्थिति 6 दिन बाद भी गंभर बनी रही. इसके उलट जिन मरीजों को क्लोरोक्विन दी गई, उनकी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा था. वे 75 फीसदी स्वस्थ हो चुके थे. इस दवा का चीन भी अपने मरीजों पर परीक्षण कर चुका है. उन्होंने बताया कि इसके साथ एचआईवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटी-वायरल दवा कैलेट्रा (Kaletra) भी दी गई थी.
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने भी एक नई एकेडमिक स्टडी में माना है कि क्लोरोक्विन कोरोना वायरस संक्रमित के इलाज में कारगर दवा है. इसमें कहा गया है कि क्लोरोक्विन से इलाज करने पर संक्रमित लोगों में बहुत तेजी से सुधार हो रहा है. वे कम समय में अपने घरों को लौट पा रहे हैं. रिसर्च में पता चला है कि क्लोरोक्विन कोरोना वायरस के बचाव में भी अच्छा काम कर रही है. इस दवा का वायरस पर लैब में भी परीक्षण सफल रहा है. बता दें कि क्लोरोक्विन बहुत ही सस्ती दवा है, जो आसानी से उपलब्ध हो जाती है. मलेरिया के खिलाफ इस दवा का 1945 से इस्तेमाल किया जा रहा है.
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अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक, आम लोग साफ तौर पर ये समझ लें कि बिना डॉक्टर की सलाह के ये दवा नहीं लेनी है. वहीं, डॉक्टर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर उम्र के मरीजों को ये दवा लेने की सलाह दे सकते हैं. प्रेग्नेंट महिलाएं भी बिना किसी डर के ये दवा ले सकती हैं. इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. इसलिए इस दवा का मलेरिया, अमोबायोसिस, एचआईवी और ऑटोइम्यून डिजीज में काफी समय से इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्लोरोक्विन से इलाज की घोषणा की थी. बता दें कि दुनिया भर में वैज्ञानिक COVID-19 की वैक्सीन बनाने की कोशिशों में जुटे हैं. हालांकि, अभी तक न तो किसी देश ने और न ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इसके इलाज की आधिकारिक घोषणा की है. फिर भी चीन, दक्षिण कोरिया के बाद अमेरिका ने इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.
पेरिस के बिचट हॉस्पिटल में संक्रमण रोगों के विभाग के हेड यजदान यजदानपैन ने बताया कि फ्रांस सरकार लोगों के घरों में ही रहने की अवधि को 6 हफ.ते तक बढा सकता है. यजदान कोरोना वायरस पर सरकार की साइंटिफिक काउंसिल के सदस्य भी हैं. उनका कहना है कि फ्रांस में लॉकडाउन 10 दिन में खत्म नहीं होगा. मुझे लगता है कि इसे लंबा खींचा जाएगा. हालांकि, ये रोज आने वाले नए मामलों की संख्या पर निर्भर करेगा. अगर ये संक्रमण घटता है तो भी इसे कम से कम 6 हफ्ते किया जाना चाहिए. वहीं, राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने कहा है कि लोग इस महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोग इसे गंभीरता से लें वरना लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा. लोगों को नियमों का पालन करना चाहिए.