नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से निपटने की मुहिम में भारत सरकार ने अमेरिका को बड़ा झटका दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आग्रह के बावजूद केंद्र सरकार ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन के निर्यात पर पाबंदी और सख्त कर दी है तथा विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की इकाइयों को भी रोक के दायरे में शामिल कर दिया गया है।
सरकार देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण परिस्थिति बिगडऩे की आशंकाओं को देखते हुए ये रोक लगा रही है, ताकि देश में जरूरी दवाओं की कमी नहीं हो। विदेशी व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा है कि हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन तथा इससे बनने वाली अन्य दवाओं का निर्यात अब सेज से भी नहीं हो सकेगा, भले ही इसके लिए पहले मंजूरी दी जा चुकी हो अथवा भुगतान किया जा चुका हो। निर्यात पर बिना किसी छूट के पाबंदी रहेगी।
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बता दें कि सीमा शुल्क नियमों के मामले में सेज को विदेशी निकाय माना जाता है। इस कारण निर्यात पर रोक के आदेश आम तौर पर सेज पर लागू नहीं होते हैं। सरकार ने घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन के निर्यात पर 25 मार्च को रोक लगाने की घोषणा की थी। बातचीत में भारत और अमेरिका ने संयुक्त रूप से पूरी ताकत लगाकर बीमारी से लडऩे पर सहमति जताई।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोनावायरस के इलाज में मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन सबसे बेहतर है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में कोरोना संक्रमितों की संख्या दुनियाभर में सर्वाधिक 3,11,301 हो गई है। इस महामारी से यहां अब तक आठ हजार से अधिक लोगों की मौत हुई और केवल न्यूयॉर्क में 3,565 लोग मारे गये हैं। शनिवार को न्यूयॉर्क में 630 और मौतें दर्ज की। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने आश्चर्यजनक रूप से ईसाइयों के त्योहार ईस्टर के लिए ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ के उपायों में ढील देने का भी संकेत दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश को फिर से खोलना होगा। हम कई महीनों के लिए ऐसा नहीं करना चाहते हैं।
देश के विभिन्न राज्यों में शनिवार से रविवार तक कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमितों के 472 नए मामले सामने आए हैं और कोरोना के कुल संक्रमितों की कुल संख्या बढक़र 3774 हो गई है। अब तक 267 लोग कोरोना से ठीक हो गए है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।