Last Updated on January 14, 2024 by The Health Master
नई दिल्ली। कोरोना महामारी से लड़ाई में भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भारत ने अपने नए निर्देश और शोध से WHO को स्पष्ट कह दिया है कि कोरोना संक्रमण से लड़ाई में अब देश अकेले ही चलेगा। देश के हित में जो शोध और इलाज जरूरी हो, वही करेगा।
भारत के वैज्ञानिकों को WHO के सुझाव को कोई जरूरत नहीं है। हाल ही में WHO ने सदस्य देशों को निर्देश जारी किया था कि कोरोना वायरस के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खतरनाक साबित हो सकती है, इसलिए इसके ट्रायल बंद कर दें। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने न सिर्फ इस दवा पर शोध किया बल्कि देश के डाक्टरों से कहा है कि कोरोना वायरस इलाज में इस दवा से बचाव हो सकता है।
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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अपने ताजा शोध में कहा है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दवा लेने पर कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे में कमी देखी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दरअसल ज्यादातर पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक और दवा कंपनियां भारत के बेहद सस्ती दवाओं के उपचार को लेकर हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश में रहती हैं। कोरोना वायरस का इलाज मलेरिया से बचाव के लिए बनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से संभव है।
अगर कोरोना वायरस से बचाव के लिए इस सस्ती दवा का इस्तेमाल बढ़ जाए तो पश्चिमी देशों की दवा कंपनियों को करोड़ो रुपयों का नुकसान है। यही कारण है कि इनकी लॉबी WHO पर दबाव बनाकर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सभी ट्रायल बंद करना चाहती हैं। भारत ने इसका विरोध कर दिया है।
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