वाशिंगटन। रूस के कोरोना वायरस के टीके के ऐलान और उस पर छिड़े विवाद के बीच दवा कंपनियां अब ऐसी दवा के परीक्षण में जुट गयीं हैं जो इस वायरस को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी बनाएगी।
बता दें कि एंटीबॉडी ऐसा प्रोटीन है जिसे शरीर संक्रमण की गिरफ्त में आने के बाद बनाता है। वह वायरस के साथ जुड़ जाता है और उसे नष्ट कर देता है। टीका दूसरे सिद्धांत पर काम करता है। टीकाकरण या संक्रमण के बाद टीके को सबसे प्रभावी एंटीबॉडी बनाने में एक या दो महीने लग सकते हैं।
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प्रयोग से गुजर रहीं दवाइयां विशिष्ट एंटीबॉडी के कन्संट्रेटेड संस्करण देकर उस प्रक्रिया को दूर कर देती हैं और उनका प्रयोगशाला और पशुओं पर परीक्षण में बहुत अच्छा असर रहा है। उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के वायरोलॉजिस्ट डॉ. मैरोन कोहेन ने कहा कि किसी टीके को काम करने, एंटीबॉडी के विकास कराने में वक्त लगता है लेकिन जब आप किसी को एंटीबाडी देते हैं तो उसे तत्काल सुरक्षा मिल जाती है।
समझा जाता है कि इन दवाइयों का एक या अधिक महीने तक असर रह सकता है और यह उच्च संक्रमण जोखिम वाले लोगों जैसे डॉक्टरों और कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को तत्काल प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है। ये दवाइयां प्रभावी साबित हेाती हैं और यदि टीका उम्मीद के अनुसार नहीं आ पाता है या सुरक्षा नहीं दे पाता है तो इन दवाओं के व्यापक इस्तेमाल के लिए विचार किया जा सकता है।
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