Last Updated on July 2, 2022 by The Health Master
कृत्रिम त्वचा (Artificial electronic skin) का निर्माण
वैज्ञानिक इंसान की क्षमता कृत्रिम (Arificial) तरीके से विकसित करने के लिए कई तरह के शोध में लगे हुए हैं. इसके लिए रोबोट बनाए जा रहे हैं जो ऐसे हालातों में काम कर सकें जो इंसान के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होते या जहां इंसान के लिए काम करना तक मुमकिन नहीं होता है. अब शोधकर्ताओं ने ऐसी कृत्रिम इलेक्ट्रॉनिक त्वचा (Electronic skin) का निर्माण किया है जो इंसान की त्वचा (Human skin) की तरह दर्द (Pain) पर प्रतिक्रिया देती है.
बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है
इस नई त्वचा का विकास बहुत बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. इससे आने वाले दिनो में प्रोस्थेटिक्स और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी माना जा रहा है. प्रोस्थेटिक्स चिकित्सा विज्ञान का वह क्षेत्र है जिसमें लोगों की अंग खराब होने पर उस अंग की जगह कृत्रिम अंगों को लगाया जाता है. इसके अलावा प्लास्टिक सर्जरी से लोगों के चहेरे बदलने के क्षेत्र में यह खोज बहुत उपयोगी हो सकती है.
कहां विकसित हुआ है यह उपकरण
यह खोज स्किन ग्राफ्ट जैसे क्षेत्र के लिए भी वरदान साबित हो सकती है जहां लोगों की त्वचा को बदलने की जरूरत होती है जैसे दुर्घटना अन्य वजहों से जलने के कारण. इस प्रोटोटाइप उपकरण का विकास ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में RMOIT यूनिवर्सिटी की एक टीम ने किया है. टीम का कहना है कि यह त्वचा दर्द के प्रति बिलकुल वैसी संवेदना दिखाती है जैसा की मानवीय त्वचा दर्द में दिखाती है.
कैसे काम करता है यह सिस्टम
यह उपकरण शरीर के पास के त्वरित फीडबैक रिस्पोंस की तरह काम करता है और दर्द की संवेदनशील प्रतिक्रिया दे सकता है. इसकी सबसे खास बात यह है कि वह उसी द्रुत गति से प्रतिक्रिया देता है जैसे की हमारा दिमाग का नर्वस सिस्टम.
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कितने काम का है यह उपकरण
इस अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता मधु भास्करन ने बताया कि यह दर्द संवेदी प्रोटोटाइप अगली पीढ़ी के बायोमेडिकल तकनीकी और इंटेलिजेंट रोबोटिक्स की दिशा में बहुत बड़ा कदम है. उन्होंने कहा, “हमारे शरीर की त्वचा सबसे संवेदनशील अंग है जिसमें बहुत जटिल तरीके से डिजाइन किया हुआ सिस्टम है जो किसी भी चीज के लगने पर तेजी से चेतावनी संकेत पहुंचाने का काम करता है.”
अभी तक नहीं बना था ऐसा उपकरण
मधु ने बताया, “हम त्वचा के जरिए हमेशा ही संवेदना महसूस करते हैं लेकिन दर्द को लेकर प्रतिक्रिया केवल किसी खास बिंदु पर ही होती है जैसे कुछ बहुत गर्म या बहुत चुभने वाली चीज को छूना आदि. अभी तक कोई भी इलेक्ट्रॉनिक तकनीक इस तरह से वास्तविक हालातो में इंसान के दर्द के प्रति संवेदनशीलता की नकल नहीं कर सकती थी.”
इन क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी
इस नई तकनीक के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमारी कृत्रिम त्वचा तुरंत ही प्रतिक्रिया देती है जब दबाव, गर्मी और ठंडे की प्रभाव एक स्तर से अधिक हो जाता है. यह भविष्य में जटिल फीडबैक सिस्टम बनाने की दिशा में बहुत ही अहम कदम है. ये सिस्टम प्रोस्थेटिक्स या इंटेलिजेंट रोबोटिक्स के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होंगे.”
ये दो प्रोटोटाइप भी
भास्करन का कहना है कि इस दर्द को महसूस करने वाले प्रोटोटाइप के अलावा उनकी टीम ने एक स्ट्रेचेबल इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग कर ऐसा उपकरण बनाया है जो तापमान और दबाव में बदलाव को भी महसूस कर सकता है.
यह शोध एडवांस इंटेलिजेंटसिस्टम में प्राकाशित हुआ है और इसके पेटेंट लिए भी आवेदन दे दिया गया है. इसमें तीन तकनीकियों का समावेश हैं- स्ट्रेचेबल इलेक्ट्रॉनिक्स, टेम्परेचर रिएक्टिव कोटिंग्स और बेन मिमिकिंग मेमोरी. इन्हीं के अलग अलग समायोजन से शोधर्ताओं ने ऊष्मा सेंसर, दबाव सेंसर और दर्द सेंसर के प्रोटोटाइप बनाए हैं.
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