Last Updated on November 2, 2020 by The Health Master
नई दिल्ली: विश्व की लगभग 32% वयस्क आबादी आज हाइपरटेंशन (Hypertension) से पीड़ित है. भारत में ही हर 3 में से 1 व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) का मरीज है. यही वजह है कि ब्लड प्रेशर कम करने वाली दवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है. ब्लड प्रेशर को कम करने वाली मौजूदा दवाओं में विभिन्न प्रकार के साइड इफेक्ट्स देखे जा रहे हैं. इसकी वजह से नई एंटी हाइपरटेंसिव (Anti Hypertensive) दवाओं की खोज का दबाव लगातार बढ़ रहा है.
ब्लड प्रेशर को कम कर सकेगी यह दवा
वनस्थली विद्यापीठ (Banasthali Vidyapith) के फार्मेसी (Pharmacy) विभाग के वैज्ञानिकों ने एक नई एंटी हाइपरटेंसिव दवा की खोज की है, जो भविष्य में ब्लड प्रेशर को कम कर सकेगी. इससे एनजाइना (Angina) औऱ हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों के उपचार में भी मदद मिल सकेगी. यह शोध कार्य प्रतिष्ठित अमेरिकी केमिकल सोसायटी जर्नल (American Chemical Society Journal) में अगस्त 2020 में प्रकाशित किया गया है.
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से बनी दवा
वनस्थली विद्यापीठ के फार्मेसी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सर्वेश पालीवाल और उनकी टीम के सदस्यों, डॉ. स्वप्निल शर्मा एवं डॉ. सीमा केसर द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि यह दवा ROCK (RHO kinase) नाम के एंजाइम (Enzyme) की रोकथाम करती है. मनुष्यों में रक्तचाप बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण ROCK (RHO kinase) एंजाइम है. यह दवा रॉक एंजाइम 2 पर अपना असर दिखाती है. यहां यह उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण है कि इस वर्ग की केवल एक दवा फासुडिल (Fasudil) है, जो जापान (Japan) और चीन (China) में उपलब्ध है.
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इस दवा का पेटेंट (Patent) अधिकार भी उन्हीं के पास है. इसलिए भारत और विश्व के अन्य हिस्सों के संदर्भ में इस शोध का एक विशेष महत्व है. प्रो. पालीवाल के अनुसार, कंप्यूटर एडेड ड्रग डिजाइन (Computer Aided Drug Design-CADD) तकनीक ने इस दवा की खोज में एक बहुत महवपूर्ण भूमिका निभाई है. CADD एक ऐसी कंप्यूटर तकनीक है, जिसमें अलग-अलग कंप्यूटर सॉफ्टवेयर्स (Softwares) का इस्तेमाल कर नई दवाओं की खोज की जा सकती है.
शोध में लगे 5 साल
प्रो. पालीवाल ने बताया कि यह शोध कार्य 5 साल पहले शुरू किया गया था और लगभग 3 लाख सैंपल्स के परिक्षण के बाद उन्हें सफलता मिल पाई. चूहों पर परीक्षण करने के बाद यह पता चल गया था कि इस दवा को भविष्य में उच्च रक्तचाप की दवाओं के विकल्प के रूप में देखा जा सकता है. प्रो. पालीवाल के अनुसार, इस प्रोजेक्ट की संपूर्ण फंडिंग (Funding) में वनस्थली विद्यापीठ के वाइस चांसलर (Vice Chancellor) प्रो. आदित्य शास्त्री जी का अभूतपूर्व योगदान रहा है. उन्होंने इस शोध कार्य में टीम के सदस्यों का निरंतर उत्साहवर्धन किया.
वनस्थली विद्यापीठ के वैज्ञानिकों ने इस शोध कार्य की सफलता के बाद अगले चरण यानी क्लीनिकल ट्रायल (Clinical Trial) की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
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