भारत में BP की बेसलाइन बदली, जाने क्या है Nornal BP

BP's baseline changed in India, what is normal BP

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Blood BP Apparatus Medical Medicine
Picture: Pixabay

Last Updated on October 2, 2022 by The Health Master

भारत में BP की बेसलाइन बदली, जाने क्या है Nornal BP

यूरोपियन कार्डियोलॉजी सोसायटी ने बीते जून में रक्तचाप Blood Pressure (बीपी) का सामान्य स्तर 130/90 की जगह 140/90 एमएम/एचजी मान लिया है।

भारत के ज्यादातर हृदय रोग (Heart disease) विशेषज्ञ यूरोपियन गाइडलाइन ही मानते हैं। हालांकि, कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया (सीएसआइ) के सदस्यों और कई हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लोगों की जीवनशैली और जीन की बनावट यूरोप के लोगों से अलग है।

लिहाजा, भारतीयों में बीपी का सामान्य स्तर 130/80 होना चाहिए। खाने में कम नमक, योग-ध्यान, व्यायाम के बाद भी यदि बीपी 140/90 से ऊपर जाता है तो इलाज शुरू करना चाहिए।

भारतीय हृदय रोग विशेषज्ञ बोले, 130/80 की स्थिति बेहतर

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि डायस्टोलिक (निचला) बीपी 80 ज्यादा कतई नहीं होना चाहिए।

सिस्टोलिक (ऊपर) का स्तर यदि लगातार 130 से ज्यादा रहता है तो इलाज शुरू करना चाहिए। अमेरिका और यूरोप की गाइडलाइन भारतीयों पर सटीक नहीं बैठती। ऐसे में एक गाइडलाइन की मांग उठने लगी है।

देश में 36 फीसद आबादी हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त

सीएसआइ की सेंट्रल इंडिया की गवर्निग बॉडी के चयनित सदस्य डॉ. सुब्रतो मंडल ने बताया कि ब्लड प्रेशर यदि 130/80 से ज्यादा हो तो दवाएं भले ही शुरू न करें, लेकिन नमक कम खाने, योग-ध्यान और व्यायाम से इसे नियंत्रित रखने की जरूरत है।

इसके बाद भी नियंत्रित नहीं हो तो दवा शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएसआइ की तरफ से 2017 में कराए गए सर्वे में सामने आया है कि देश की 36 फीसद आबादी हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) से ग्रस्त है।

भारतीयों का जीन अलग, विदेशी गाइडलाइन का मतलब नहीं

वहीं, भोपाल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. स्कंद त्रिवेदी ने कहा कि पिछले 70 वर्षो से सोसायटियां बार-बार गाइडलाइन बदल रही हैं।

भारतीयों का जीन अमेरिका और यूरोप के लोगों से अलग है, इसलिए सभी को सीएसआइ की गाइडलाइन और मरीज की स्थिति देखकर इलाज करना चाहिए।

मरीज सामान्य है तो 140/90 तक बिना दवा दूसरे उपायों से बीपी को नियंत्रित करने की कोशिश कर सकते हैं।


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बाहरी गाइडलाइन मानना ठीक नहीं

सीएसआइ के सदस्य और मप्र के मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. आरएस शर्मा ने कहा कि अमेरिकी लोगों की नसें बड़ी होती हैं। उनकी जीवनशैली भी अलग है।

ऐसे में यहां हृदय रोग विशेषज्ञों को सीएसआइ द्वारा तय मापदंड का पालन करना चाहिए। हां, रीडिंग से ज्यादा कई बार यह देखना अहम होता है कि संबंधित अंगों पर कितना असर हो रहा है।

60 साल से ज्यादा उम्र में 160/90 को मान सकते हैं सामान्य

भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. आरएस मीना ने कहा कि 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति के लिए बीपी का सामान्य स्तर 140/90 माना जाता है।

भारत सरकार ने भी गैर संचारी रोग कार्यक्रम के तहत इसे ही सामान्य मापदंड तय किया है, लेकिन 60 साल से ऊपर की उम्र में नसों में बदलाव होने लगता है।

इनके लिए 160/90 को भी सामान्य माना जाता है। बीपी का निचला स्तर 90 से ऊपर किसी भी उम्र में खतरनाक है।

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