Last Updated on April 11, 2023 by The Health Master
Prone Position: ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए उल्टा लेटना कितना फायदेमंद
अगर आप C-19 से संक्रमित हैं और घर पर ही आइसोलेशन (Isolation) में हैं तो हो सकता है कि आपको कभी कभी सांस में तकलीफ की शिकायत होती हो. ऐसे में आपको घबराने की जरूरत नहीं है.
आपके लिए बहुत ही सरल उपाय है जिसकी मदद से आप खुद को इस समस्या से उबार सकते हैं. इसके लिए ना तो आपको किसी दवा या ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होगी और ना ही किसी के मदद या जुगाड़ की.
आपको बस उल्टा लेटना होगा और गहरी सांस लेनी होगी. दरअसल यह एक बेहद पुरानी तकनीक है जिसे प्रोनिंग (Proning Position) पोजीशन कहते हैं.
इसके फायदे को देखते हुए भारत सरकार हेल्थ मिनिस्ट्री ने भी अपने वेबसाइट और ट्वीटर पेज पर लोगों के साथ इससे संबंधित जानकारियां शेयर की है.
बता दें कि देश के तमाम बड़े अस्पतालों में इन दिनों ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में ये तकनीक लोगों को काफी फायदा पहुंचा रही है.
क्या है प्रोनिंग पोजीशन
मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, भारत सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, प्रोनिंग पोजीशन C-19 के उन मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो रहा है जो होम आइसोलेशन में हैं.
इसकी मदद से C-19 संक्रमित मरीजों के ब्लड में हो रहे ऑक्सीजन की गिरावट को तुरंत ठीक किया जा सकता है.
हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, अगर मरीज का ऑक्सीजन लेवल (SPO2) 94 या उससे कम हो रहा हो तो वे घर पर ही इस तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं.
किन चीजों की पड़ती है जरूरत
इसके लिए आप 4 से 5 तकिया लें. एक तकिया गरदन के नीचे, एक से दो तकिया छाती से लेकर अपर थाई तक रखें और दो तकिया लोअर लेग यानी पंजों के निचले हिस्से में रखें.
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कितने देर के लिए करें
- इसके लिए चार से पांच तकिया लें और उल्टा लेट जाएं
- आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक पेट के बल लेट सकते हैं.
- इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक दाहिने करबट लेटें.
- इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक सिटिंग पोजीशन में रहें.
- इसके बाद आधे घंटे से लेकर 2 घंटे तक दाहिने करबट लेटें.
- इसके बाद दुबारा से पेट के बल लेटें. हालांकि बेहतर होगा कि आप आधे आधे घंटे में ही अपना पोजीशन बदलते रहें.
कब ना करें
- खाने के कम से कम 1 घंटे बाद करें.
- जब तक कम्फर्टेबल लगे तभी तक इस पोजीशन में रहें.
- प्रेगनेंसी में इस पोजीशन का प्रयोग ना करें.
- 48 घंटे के बाद भी दिक्कत हो तो डॉक्टर की सलाह लें.
- मेजर कार्डियक प्रॉब्लम हो तो ना करें.
- स्पाइनल कॉड में इंज्यूरी, पेल्विक फ्रैक्चर आदि हो तो ना करें.
विशेषज्ञों का क्या है कहना
बीबीसी से बातचीत के दौरान जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर और फेफड़ों तथा क्रिटिकल केयर के मेडिसिन एक्सपर्ट पानागिस गालियातस्तोस ने बताया कि अधिकांश कोविड-19 मरीजों के फेफड़ों तक पर्याप्त आक्सीजन नहीं पहुंच पाता और इसी से खतरा पैदा होता है.
जब ऐसे मरीज़ों को ऑक्सीजन दी जाती है तो वह भी कई बार पर्याप्त नहीं होता. ऐसी स्थिति में हम उनको पेट के बल लिटाते हैं, चेहरा नीचे रहता है, इससे उनका फेफड़ा बढ़ता है.
गालियातस्तोस के मुताबिक, इंसानी फेफड़े का भारी हिस्सा पीठ की ओर होता है इसलिए जब कोई पीठ के बल लेटकर सामने देखता है तो फेफड़ों में ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचने की संभावना कम हो जाती है.
क्या कहना है WHO का
बता दें कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने मार्च के महीने में एक्यूट रिसेपरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) वाले कोविड-19 मरीज़ों के लिए 12 से 16 घंटे तक प्रोनिंग की अनुशंसा की थी.
बीबीसी के मुताबिक, WHO ने इस तकनीक को बच्चों के लिए भी सेफ बताया है.
डॉक्टर्स का क्या है कहना
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के न्यूरोलॉजी निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ.प्रवीण गुप्ता ने बताया कि यह स्थिति उन C-19 पेशेंट्स में ऑक्सीजन के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करती है जो गंभीर हैं और इसकी मदद से उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की भी जरूरत कम पड़ सकती है.
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