फरीदाबाद: खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा दवाओं के गैरकानूनी व्यवसाय में लगे लोगों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के परिणाम अब सामने आने लगे हैं माननीय न्यायालय ने सन 2017 में बिना लाइसेंस के दवा की दुकान चलाने वाले दो आरोपियों को दो-दो साल की सजा तथा उनपर 45, 45 हजार रुपे के जुर्माने की सजा सुनाई
इस विषय में अधिक जानकारी देते हुए प्राधिकरण के वरिष्ठ औषधि नियंत्रक अधिकारी करण गोदारा ने बताया कि एक अन्य मामले में 2005 में एनआईटी नंबर 5 के मूंगफली चौक से बिना लाइसेंस दवाओं के व्यवसाय में लगे हरीश कुमार के खिलाफ भी ड्रग एक्ट के तहत फैसला सुनाते हुए माननीय न्यायाधीश ने उनको 6 महीने की सजा और सवा लाख रुपए जुर्माना किया था जबकि हरीश कुमार पर एनडी पी एस के तहत अभी भी मामला चल रहा है
उल्लेखनीय है कि करण गोदारा के नेतृत्व में ही सन 2017 में जिला औषधि निरीक्षक पूजा चौधरी एवं राकेश छोकर में धौज गांव के दो मेडिकल स्टोर पर छापा मारा था जिनमें से एक मेडिकल स्टोर को अब्दुल करीम तथा दूसरे को मुबारक अली चलाता था छापे के दौरान जब छापामार दल ने उनसे लाइसेंस मांगा तो वह लाइसेंस दिखाने में आसफल रहे
बाद में पता चला कि दोनों बिना लाइसेंस के मेडिकल स्टोर चला रहे जिस पर दोनों के खिलाफ ड्रग एक्ट के तहत कार्रवाई की गई
और आज इस मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश माननीय डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने फैसला देते हुए अब्दुल करीम तथा मुबारक अली को गैरकानूनी रूप से दबा व्यवसाय में लगे होने का दोषी करार दिया तथा दोनों को दो-दो साल की कैद और 45 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई
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करण सिंह गोदारा ने बताया कि इसके अतिरिक्त 2005 में बिना लाइसेंस दवाओं का काम कर रहे हरीश कुमार को एनआईटी नंबर 5 के मूंगफली चौक के पास से गिरफ्तार किया था
उनको भी बिना लाइसेंस के दवा बेचने के आरोप में ड्रग एक्ट के तहत कोर्ट ने 6 महीने की सजा और सवा लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है श्री गोदारा के अनुसार जिले में किसी भी सूरत में गैरकानूनी दवा का व्यवसाय सहन नहीं किया जाएगा
उनके अनुसार माननीय मंत्री एवं प्रदेश के औषधि नियंत्रक के स्पष्ट आदेश है कि किसी भी सूरत में गैरकानूनी दवा के व्यवसाय में लगे लोगों को बख्शा नहीं जाएगा गोदारा के अनुसार और कई मामलों में कोर्ट में कार्रवाई चल रही है