कपड़ा व्यापारी नशीली दवा तस्करी करते काबू
बिलासपुर। शहर में फेरी लगाकर कपड़ा बेचने वाला व्यापारी नशीली दवा की तस्करी करने लगा। उसने यहां मदद के लिए स्थानीय युवक व वाहन चालक को सप्लायर बना लिया। फिर दोनों मिलकर कोडिनयुक्त सीरप समेत नशीली दवा की सप्लाई करने लग गए। लॉकडाउन के बीच में तस्कर अतिआवश्यक सेवा की आड़ में प्रतिबंधित नशीली सीरप का परिवहन कर रहे थे।
सकरी पुलिस ने ट्रक समेत तीन आरोपियों को पकडक़र उनके पास से बड़ी मात्रा में कोडिनयुक्त सीरप जब्त किया है।
कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के बीच केंद्र व राज्य शासन ने दवा की सप्लाई को अतिआवश्यक सेवा माना है। यही वजह है कि बिना किसी रोक व जांच के दवा लेकर जाने वाले इस तरह के वाहनों के दस्तावेज की जांच के बाद एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही करने की अनुमति दी गई है।
दवा की आड़ में कोडीनयुक्त कफ सीरप की तस्करी
लेकिन दवा की आड़ में ट्रक में भरकर कोडीनयुक्त प्रतिबंधित कफ सीरप की तस्करी करने का अवैध कारोबार भी लॉकडाउन में पैर पसार रहा है। सकरी टीआई रविंद्र यादव को सूचना मिली कि ट्रक सीजी 10 वाय 6673 जरूरी दवा सप्लाई करने रायपुर जा रहा है। लेकिन उसमें कोडिनयुक्त प्रतिबंधित सीरप भी है और उसे बिलासपुर में सप्लाई करने की तैयारी है। इस सूचना पर टीआई यादव ने अपनी टीम को निगरानी के लिए लगाया।
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जैसे ही ट्रक रतनपुर, सेंदरी, लोखंडी होते हुए जोकी बाइपास के पास पहुंची। पुलिसकर्मियों ने उसे रोक लिया। ट्रक में 70 वर्षीय वृद्घ चालक समेत तीन लोग सवार थे। ट्रक की तलाशी लेने पर पुलिस ने 11 सौ सीसी कफ सीरप जब्त की, जिसे सात कार्टून व बोरी में भरकर रखा गया था। पूछताछ में पता चला कि ट्रक में रायपुर के लिए दवा भरी है और उसके दस्तावेज भी दिखाए गए। पुलिस ने उत्तरप्रदेश के बदोनी गोपीगंज निवासी ड्राइवर हरिशंकर तिवारी पिता स्व. लक्ष्मीनारायण (70) के साथ ही सरकंडा के बंधवापारा इमलीभाठा निवासी प्रताप सिंह राणा पिता पान सिंह (20) व जरहाभाठा ओम नगर के सोहेल खान पिता मंसूर खान (22) को पकड़ लिया।
ट्रक हरिद्वार से 28 अप्रैल को निकला था जिसमें रायपुर में पांच संस्थानों के लिए मेडिकल डाक लोड था। पुलिस ने पकड़े गए तीनों आरोपितों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया है। पता चला कि नशीली दवा के तस्करों का स्थानीय सप्लायर सोहेल खान है। वह दिखावे के लिए बजाज फायनेंस कंपनी में रिकवरी का काम करता था। मुख्य तस्कर से उसकी दोस्ती हुई और फिर उसने बंधवापारा के इमलीभाठा निवासी प्रताप सिंह के साथ इस अवैध कारोबार में जुट गया।
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