जयपुर। ड्रग विभाग ने 18 हजार सैनिटाइजर की बोतलों से भरा ट्रक पकड़ा है। निम्न स्तर क्वालिटी के सैनिटाइजर प्रदेशभर में सप्लाई किए जाने थे। रात 12 बजे से लगी टीम ने सुबह पांच बजे तक कार्रवाई प्रक्रिया पूरी की और माल को जब्त कर लिया। ड्रग कंट्रोलर दिवाकर पटेल ने बताया कि सूचना मिली कि बद्दी (हिमाचल प्रदेश) से सैनिटाइजर की खेप आ रही है।
इसके बाद तुरंत टीमें गठित की गई और रात 12.10 बजे जैसे ही ट्रक मानसरोवर की तरफ से प्रवेश करने लगा, उसे रोका गया। जांच करने पर उसमें सैनिटाइजर की बोतलों से भरे कार्टन मिले। जांच टीम में डीसीओ मनोज कुमार गढ़वाल, महेन्द्र कुमार जोनवाल, सिंधु कुमारी और अमन ठाकुर शामिल रहे।
गौरतलब है कि प्रदेशभर में सैनिटाइजर की बहुत ही अधिक डिमांड है। ऐसे में पूर्ति नहीं हो पा रही और दलाल इसका फायदा उठाने में लगे हैं। बद्दी से इतनी अधिक मात्रा में आए सैनिटाइजर भले ही पकड़े गए लेकिन सवाल यह भी हो गया है कि अभी तक कितने सैनिटाइजर प्रदेशभर में बेचे जा चुके हैं। यह माल कहां जाना था और उन दुकानदारों से पूछताछ बाकी है।
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जांच में आया बनाने वाली कंपनी टी एंड जी मेडिकेयर है। हर बोतल पर 250 रुपए एमआरपी थी, जबकि खरीद रेट कम है। यानि कि खरीद राशि तीन लाख रुपए है और एमआरपी के आधार पर कुल राशि चार लाख 50 हजार रुपए होती है। ये बाजार में कितने में बेचते और आमजन को कितने में देते, इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है।
जब विभाग की टीम ने सैनिटाइजर की जांच की तो सामने आया कि उसमें मुख्य घटक कोलेरिक्सीडाइन ग्लूकोनेट सॉल्युशन आईपी तो महज एक प्रतिशत था। जबकि आइसोप्रोपिल एल्कॉहल भी 61 प्रतिशत पाया गया। जबकि यह ज्यादा होना चाहिए। यदि इतने कम मात्रा के घटक वाला सैनिटाइजर बाजार में आता है और लोग काम में लेते हैं तो उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।