नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा कोविड-19 के संभावित इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) के उपयोग पर अस्थाई रोक लगाने के बाद एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) का बयान आया है. गुलेरिया ने कहा, ‘कोविड-19 (COVID19) के इलाज के हिस्से के रूप में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग करने के 2 अलग पहलू हैं, इस बात की अधिक संभावना है कि म्यूटेंट दवाओं के उपयोग के कारण मरीज को विषाक्तता हो सकती है.
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘कुछ दवाएं हैं जो हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साथ हार्ट प्रॉब्लम को बढ़ा सकती हैं. दूसरी ओर जब हम इसे प्रोफिलैक्सिस या हल्की बीमारी में दे रहे हैं या अकेले इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसके साइड इफेक्ट की संभावना बहुत कम है.’
ICMR ने कही ये बात
इससे पहले आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में किए गए अध्ययनों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का कोई भी बड़ा साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है. इसलिए कोविड-19 के लिए रोकथाम उपचार के तौर पर इसका उपयोग जारी रखा जाना चाहिए. ICMR ने पहली बार मलेरिया रोधी इस दवा का प्रयोग करने का सुझाव मार्च में दिया था.
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आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में हुए अध्ययनों में एचसीक्यू के कोई अहम साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं. कोविड-19 के इलाज में इसका इस्तेमाल जारी रहना चाहिए. हमारी स्पष्ट सलाह है कि एचसीक्यू को खाने के साथ लिया जाना चाहिए, खाली पेट नहीं. इलाज के दौरान एक ईसीजी किया जाना चाहिए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लगाई ट्रायल पर रोक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के संभावित इलाज के लिए कारगर मानी जा रही हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा के ट्रायल पर रोक लगा दी है. ऐसा सुरक्षा कारणों के चलते किया गया है. बता दें कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन मलेरिया के रोगियों को दी जाती है. डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनोम घेबियस ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बीते सप्ताह लैंसेट में एक अध्ययन के प्रकाशित होने के बाद यह फैसला लिया गया कि कोविड-19 रोगियों पर दवा का उपयोग करने से उनके मरने की संभावना बढ़ सकती है. इसके चलते डब्ल्यूएचओ ने परीक्षणों को निलंबित कर दिया है, जबकि सुरक्षा को लेकर इसकी समीक्षा की जा रही है. टेड्रोस के मुताबिक, पहले डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड सेफ्टी डेटा की समीक्षा करेगा. ट्रायल के बाकी हिस्से जारी रहेंगे.
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