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Last Updated on October 20, 2024 by The Health Master
हमारे देश में प्रति वर्ष Eye donation अर्थात नेत्रदान चेतना पखवाड़ा मनाया जाता है। यह जागरूकता पखवाड़ा लोगो को नेत्रदान करने के लिए प्रेरित करने के लिए किया जाता है ताकि कॉर्निया ब्लाइंडनेस से ग्रसित अंधे जिनके जीवन मे केवल एक वह भी काला रंग है वह ईश्वर की बनाई दुनिया के समस्त रंगों को देखने में सक्षम हो सके।
नेत्रदान मृत्यु के उपरांत किया जा सकने वाला एक मात्र संभव महादान है तो वह मृतक की स्वंयम की आंखें हैं जो किसी अन्य अंधे व्यक्ति को जीवन के रंग आपके द्वारा दी गई आंखों से देखने में सक्षम करता है।
जैसे सूर्य देव सन्ध्या के समय अस्ताचल जाते हुए अपनी रोशनी चन्द्रमा को दे जाते हैं और चांद सूर्य प्रदत्त रोशनी से चांदनी के रूप में शीतलता प्रदान करता है।
प्रकृति की यह प्रतिदिन होने वाली घटना हमें यही सन्देश देती है कि हम सभी लोग भी इस प्रकार जाते जाते मरणोपरांत अपनी नेत्र ज्योति किसी अन्य के जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए दान दे कर जाएं।
इसीलिए कहा गया जीते जीते रक्तदान जाते जाते नेत्रदान। सन्सार का उपकार करना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए और नेत्रदान जैसा महादान तो जीवन के अंतिम पड़ाव का महायज्ञ कहलाता है।
मृत्यु के उपरान्त जीवन की परिकल्पना हमें रोमांचित कर देती है और नेत्रदान के माध्यम से हम मृत्यु के बाद भी जीवित रहने की परिकल्पना के रोमांच को अपनी आंखों के माध्यम से जीवंत रख सकते हैं।
प्रतिवर्ष नेत्रदान जागरूकता पखवाड़ा मनाने के बाद भी हमारे देश में इसके प्रति जागरूकता बहुत कम है और अभी भी बहुत से नेत्रहीन लंबे समय से कॉर्निया की अंतहीन इंतज़ार में बैठे हुए हैं।
नेत्रदान के प्रति पूर्ण जागरूकता ना होने का कारण इसके प्रति समाज में व्याप्त भ्रांतियां हैं जिनका निवारण अत्यन्त आवश्यक है
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भ्रान्ति 1 – वृद्ध व्यक्ति की आंखें जिसे खुद भी कम दिखाई देता हो नेत्रदान के काम नहीं आ सकती।
सच्चाई – यह गलत है मृतक चाहे कुछ दिन या घण्टों का नवजात हो या फिर अत्यन्त वृद्ध व्यक्ति यदि उसकी आँखों की बाहरी कॉर्निया की झिल्ली स्वस्थ और पारदर्शी है तो वह नेत्रदान कर सकता है बशर्ते उसकी मृत्यु किसी संक्रामक रोग जैसे एच आई वी केंसर हेपेटाइटिस आदि से ना हूई हो।
भ्रान्ति 2 – यदि मोतियाबिंद या काला मोतिया का ऑपरेशन हुआ है तो नेत्रदान नहीं कर सकते।
सच्चाई- यह गलत है यदि कॉर्निया पारदर्शी और स्वस्थ हो तो नेत्रदान किया जा सकता है।
भ्रान्ति 3 – क्या जीवित व्यक्ति अपनी एक आंख दान कर सकता है।
सच्चाई – नहीं नेत्रदान केवल मरणोपरांत मृतक शरीर से मृतक के परिजनों द्वारा आई बैंक से सम्पर्क करके करवाया जा सकता है। जीवित व्यक्ति केवल नेत्रदान संकल्प कर सकता है। जीवित व्यक्ति द्वारा नेत्रदान मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम में प्रतिबंधित है।
भ्रान्ति 4 – नेत्रदान से मृतक को कष्ट पहुंचता है।
नियति संचित कर्मों का प्रतिफल है तो नेत्रदान के बाद व्यक्ति अगले जन्म में अंधा पैदा होगा ऐसा प्रतीत नहीं होता।
सच्चाई- यह एक बहुत बड़ी हास्यास्पद भ्रान्ति है। मृत्यु उपरान्त मृतक शरीर को अंत्येष्टि समय जब अग्निदाह किया जाता है उससे भी कष्ट नहीं पहुंचता तो नेत्रदान की छोटी सी प्रक्रिया से कष्ट कैसे पहुंच सकता है। मृत्यु उपरान्त सुख दुख की अनुभूति की बात बेमानी है। यदि मृत्यु हो चुकी है तो दर्द कष्ट नहीं होगा और दर्द महसूस हुआ तो समझो मृत्यु नहीं हुई है।
भ्रान्ति 5 – नेत्रदान करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में अंधा पैदा होगा।
सच्चाई – यह गलत है ईश्वर न्यायकर्ता हैं और इतने बड़े महादान यज्ञ कार्य के उपरान्त व्यक्ति अंधा पैदा हो ऐसा दण्ड ईश्वरीय न्याय व्यवस्था में नहीं मिल सकता। इतने महान पुण्य कार्य के प्रतिफल में तो अच्छा ही प्राप्त होता है।
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भ्रान्ति 6 – बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकता।
सच्चाई – संक्रामक रोगों जैसे एच आई वी एड्स हेपेटाइटिस रेबीज़ आदि से ग्रसित होकर मृत व्यक्ति के शरीर से नेत्रदान नहीं कर सकता। सामान्य बीमारियों से मरने वाले नेत्रदान कर सकते हैं।
भ्रान्ति 7 – नेत्रदान से पूर्व किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सच्चाई – नेत्रदान की प्रक्रिया 8 से 10 घण्टे में पूरी हो जानी चाहिए। यदि परिजन मृतक का नेत्रदान करना चाहते हैं तो उन्हें शीघ्र ही किसी पंजीकृत नेत्र बैंक या सरकारी अस्पताल से सम्पर्क राष्ट्रीय हेल्प लाइन 1919 या दिए गए दूरभाष पर करना चाहिए। आंखों की पुतलियों को बन्द करके गीली रुई कॉटन रख दें और यदि सर पर कोई पंखा चल रहा है तो उसे बन्द कर दें ताकि ऊपरी पारदर्शी झिल्ली या कॉर्निया सूखे नहीं उसकी पारदर्शिता बनी रहे और वह प्रत्यारोपण के काम आ सके।
भ्रान्ति 8 – नेत्रदान कौन करवा सकता है।
सच्चाई- यदि मृतक ने मृत्यु से पूर्व इत्रदान की इच्छा व्यक्त करके संकल्प पत्र भरा हुआ है तो परिजनों को मृतक की इच्छा का सम्मान करते हुए नेत्रदान अवश्य करवाना चाहिए। यदि मृतक ने नेत्रदान संकल्प पत्र नहीं भी भरा तो भी उसके अंतिम संस्कार के लिए अधिकृत परिजन उसका नेत्रदान करवा सकते हैं।
भ्रान्ति 9 नेत्रदान कौन लेता है।
सच्चाई- नेत्रदान केवल पंजीकृत आई बैंक का अधिकृत पंजीकृत चिकित्सक ही ले सकता है। मृतक के शरीर से नेत्र लेने , उसे एक विशेष घोल में संभाल कर रखने , नेत्र बैंक तक ले जाने वहां विशेष तापमान पर विशेष फ्रिज में रखने , कॉर्निया टेस्ट करने और 48 से 72 घण्टे के अन्दर जरूरत मन्द को प्रत्यारोपण करने का अधिकार आई बैंक को ही होता है। जिसका पंजीकरण सक्षम अधिकारी द्वारा निरीक्षण के बाद मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के अंतर्गत किया जाता है।
भ्रान्ति 10- जिसे कॉर्निया प्रत्यारोपण किया जाता है उसे मृतक के जीवन की घटनाएं दिखाई देती हैं।
सच्चाई – यह एक बहुत बड़ी भ्रान्ति है जो केवल मज़ाक लगती है। ऐसा संभव नहीं है फिर जिसे नेत्र कॉर्निया प्रत्यारोपण किया जाता है उसे यह नहीं बताया जाता कि यह नेत्र किसने दान किए थे। आज तक हज़ारो रक्तदान करने करवाने रक्त चढ़ाने के बाद ऐसी शिकायत किसी ने नहीं की है।
भ्रान्ति 11- क्या नेत्रदान करने करवाने वाले कॉर्निया को बेच या खरीद सकते हैं।
सच्चाई – जी नहीं यह एक दण्डनीय अपराध है और कोर्निया को खरीदना या बेचना प्रतिबन्धित है। जैसे रक्त या अन्य मानव अंग बेचना खरीदना अपराध है वैसे ही नेत्रदान भी अपराध की श्रेणी में आता है।
-नरेन्द्र आहूजा, राज्य औषधि नियन्त्रक, हरियाणा
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