Anti Bacterial साबुन का इस्तेमाल करते समय इन बातों का जरूर रखे ध्यान: Most Important

एफडीए ने कहा है कि ऐसा कोई विज्ञान नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि एंटीबैक्टीरियल सोप या लिक्विड से बैक्टीरिया का खात्मा होता है.

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Cosmetics soap
Picture: Pixabay

Last Updated on August 28, 2021 by The Health Master

Anti Bacterial साबुन का इस्तेमाल करते समय इन बातों का जरूर रखे ध्यान

Bad effects of Antibacterial Soap : यूं तो अमीर देशों में एंटी-बैक्टीरियल साबुन या लिक्विड का चलन बहुत पहले से था लेकिन कोरोना महामारी के बाद दुनिया भर में इसका चलन एंटी बैक्टीरियल सोप के साथ बढ़ा है.

यहां तक कि फर्श साफ करने के लिए भी एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल लिक्विड आ गए हैं. बाजार में कई ऐसे लिक्विड या साबुन हैं जिसके एंटी-बैक्टीरियल होने का दावा किया जाता है.

जब लोग इसे खरीदते हैं तो यही सोचकर इसे लाते हैं कि इससे घर सुरक्षित रहेगा. बैक्टीरिया का हमला नहीं होगा. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो गलत हैं क्योंकि इससे फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा है.

सामान्य साबुन ज्यादा बेहतर

अमेरिकन फुड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने (U.S. Food and Drug Administration –USFDA) ने ऐसे उत्पाद को खरीदने से बचने की सलाह दी है.

एफडीए ने कहा है कि ऐसा कोई विज्ञान नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि एंटीबैक्टीरियल सोप या लिक्विड से बैक्टीरिया का खात्मा होता है.

इस बात के कोई सबूत नहीं है कि पानी और सामान्य साबुन की जगह अगर एंटीबैक्टीरियल साबुन से हाथ धोया जाए तो बीमारी नहीं होगी.

आज तक यह साबित नहीं हो सका है कि एंटीबैक्टीरियल साबुन के इस्तेमाल से कुछ फायदा है. एफडीए ने कहा है कि इसके बजाय एंटीबैक्टीरियल साबुन के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर हमेशा सवाल खड़े किए जाते रहे हैं.

2013 में एफडीए ने एंटीबैक्टीरियल साबुन निर्माता कंपनियों से इससे फायदे का प्रमाण देने को कहा था लेकिन कोई भी कंपनी इसके फायदे को नहीं बता सकी.

इसके बाद एफडीए ने लोगों को सलाह दी कि वे एंटीबैक्टीरियल साबुन की जगह सामान्य साबुन और सामान्य पानी का इस्तेमाल करें.

प्रोडक्ट में हानिकारक रसायन

कई तरह की पड़ताल के बाद एफडीए ने पाया था कि जितने भी एंटीसेप्टिक वॉश प्रोडक्ट (antiseptic wash products) हैं जैसे कि लिक्विड, फोम, जेल हैंड सोप, बार सोप और बॉडी वाश, इनमें ट्राईक्लोसन (triclosan) और ट्रिक्लोकार्बन (triclocarban) नाम के खतरनाक रसायन पाए जाते हैं.

कुछ शोध में पाया गया है कि ट्राईक्लोजेन में कार्सिनोजेनिक कंपाउंड पाया जाता है जो कैंसर का कारण बनता है.

ये दोनों रसायन जलीव जीव को नुकसान पहुंचाते हैं. यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है.

यही कारण है कि एफडीए ने इन प्रोडक्ट में ट्राईक्लोसन (triclosan) और ट्रिक्लोकार्बन शामिल करने पर प्रतिबंध लगा दिया.

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