Blood test से अब लगेगा अगले 4 साल में होने वाले स्ट्रोक और हार्ट अटैक का अनुमान: Study

कई बार ऐसा भी होता है कि समय पर इलाज ना मिलने पर इंसान को जान तक गंवानी पड़ जाती है.

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Laboratory Blood
Picture: Pixabay

Blood test से अब लगेगा अगले 4 साल में होने वाले स्ट्रोक और हार्ट अटैक का अनुमान

आजकल की भागदौड़ भरी लाइफ में इंसान अपनी सेहत को लेकर कितना सर्तक है ये तो लगातार बढ़ती हार्ट डिजीज, बीपी और डायबिटीज के मरीजों की संख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है.

लोगों का अनियमित खानपान और नॉन एक्टिव लाइफस्टाइल इसकी बड़ी वजह माना जाता है. ऐसे दौर में किसी को भी दिल का दौरा (Heart Attack) कब पड़ जाए पता नहीं चल सकता.

कई बार ऐसा भी होता है कि समय पर इलाज ना मिलने पर इंसान को जान तक गंवानी पड़ जाती है.

द् गार्डियन (The Guardian) में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में कोलोराडो के बोल्डर स्थित बायोटेक्नॉलॉजी कंपनी सोमालॉजिक (SomaLogic) रिसर्चर्स ने एक ऐसी सटीक तकनीक विकसित की है, जिससे समय रहते इसका पता लगाया जा सकता है.

रिसर्चर्स ने ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है, जिससे अगले चार साल में किसी को हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर होने का सटीक अनुमान लगयाा जा सकता है.

इतनी ही नहीं इस टेस्ट से ये भी पता लगाया जा सकेगा कि इनमें से किसी एक स्थिति से मौत का खतरा है या नहीं.विज्ञापन

मिलेगी इलाज की सही जानकारी

रिसर्चर्स ने बताया कि ये टेस्ट ब्लड में प्रोटीन की मात्रा पर निर्भर करता है. इससे बीमारियों के बारे में सटीक अनुमान लगयाा जा सकता है.

इससे डॉक्टरों को ये निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि क्या मरीज की मौजूदा दवाएं काम कर रही हैं या नहीं. साथी ये भी पता चलेगा कि क्या मरीज को और एडिश्नल दवा देने की जरूरत या नहीं.

कैसे हुई स्टडी

इस स्टडी को लीड करने वाले डॉ स्टीफन विलियम्स (Dr Stephen Williams) ने बताया कि उनकी टीम ने 22 हजार 849 लोगों के ब्लड प्लाज्मा (Blood Plasma) के सैंपल में 5 हजार प्रोटीन का विश्लेषण करने के लिए मशीन लर्निंग का यूज किया गया.

इस दौरान 27 प्रोटीनों की पहचान की गई. इस टेस्ट का इस्तेमाल अमेरिका में पहले से ही किया जा रहा है. जल्द ही और देशों में इसका यूज शुरू होगा.

क्या कहते हैं जानकार

किंग्स कॉलेज लंदन में ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन कार्डियोवैस्कुलर प्रोटिओमिक्स के प्रोफेसर मैनुअल मायरे (Prof Manuel Mayr) का कहना है कि प्रोटीन हमारे शरीर का अहम हिस्सा होते हैं.

जेनेटिक टेस्ट से कुछ बीमारियों के जोखिम का पता चल सकता है, वहीं प्रोटीन विश्लेषण से किसी भी समय किसी अंग टिशूज और सेल्स के बारे में पता लगाया जा सकेगा.

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