Last Updated on December 28, 2019 by The Health Master
बागपत (उप्र)। नकली दवा बनाने वाली फर्म का पता सालभर बाद जाकर लग पाया है। ड्रग इंस्पेक्टर ने मार्च 2017 में एक एंटीबायोटिक दवा का सैंपल लिया था।
अब इस मामले में उत्तराखंड के रुडक़ी स्थित तीन कंपनियों के चार पदाधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज करवाया है।
ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया कि नकली दवा बनाने वाली फर्म मामले में मार्च 2017 में अमीनगर सराय के सागर मेडिकल स्टोर से एक एंटीबायोटिक दवा का सैंपल लिया था। इसे जांच के लिए लखनऊ प्रयोगशाला भेजा गया।
डेढ़ वर्ष पूर्व सैंपल की रिपोर्ट आई। इसमें राजकीय प्रयोगशाला में दवा में मौजूद ऑफ्लोक्सिन की मात्रा केवल 0.090 प्रतिशत ही पाई गई, जोकि गलत है।
जांच के बाद तीन राज्यों से इसके तार जुड़े मिले। अमीनगर सराय के मेडिकल स्टोर संचालक ने यह दवा दिल्ली से खरीदी। वहां जांच की गई तो पता चला कि दवा हरियाणा के पानीपत से ली गई।
इसके बाद पानीपत में जांच की गई तो दवा रुडक़ी की एक कंपनी से खरीदना बताया गया। रुडक़ी में जांच पड़ताल में काफी झोल मिला।
इस बारे में पूछताछ की गई तो संचालकों ने कंपनी में दवा न बनने की बात कही। सामने आया कि ज्योति केमिकल्स, पूरिस्तो फार्मा, अर्थ फार्मा द्वारा षड्यंत्र रच कर इस दवा का निर्माण कर बेचा गया है।
ड्रग्स इंस्पेक्टर के अनुसार ज्योति केमिकल की प्रोपराइटर ज्योति शर्मा, ऑथराइज्ड सिग्नेटरी सचिन शर्मा, पूरिस्टो फार्मा के प्रोपराइटर मनीष कौशिक एवं अर्थ फार्मा के प्रोपराइटर पीयूष शर्मा को औषधि के निर्माण एवं क्रय-विक्रय में सम्मिलित पाते हुए चारों के विरुद्ध न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जनपद बागपत में केस दर्ज किया गया है।
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