Last Updated on November 28, 2021 by The Health Master
Silent killer होती हैं ये 6 भयानक बीमारियां
स्वस्थ रहने के लिए एक स्वस्थ दिनचर्या बनाए रखना और अच्छे आहार का पालन करना बेहद जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करते, तो क्रॉनिक डिसीज का खतरा बढ़ सकता है।
कुछ बीमारियां चुपके से आपके शरीर पर हमला कर देती हैं। इनका पता अक्सर तब चलता है जब बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी होती है।
शुरूआत में लक्षणों को अनदेखा करने पर कुछ बीमारियां खतरनाक होने के साथ गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकती हैं। ऐसे में इन पर हमें ध्यान देने की जरूरत है।
इन साइलेंट किलर बीमारियों को रोकने और इनसे बचने के लिए हमें डॉक्टर से रैगुलर चेकअप कराना चाहिए। इसके अलावा जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करके भी इन बीमारियों से बचना काफी हद तक संभव है।
तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही साइलेंट किलर बीमारियों के बारे में साथ में जानेंगे इन साइलेंट किलर बीमारियों को रोकने और इन्हें मैनेज करने के तरीके भी।
स्लीप एपनिया
यह एक गंभीर स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें लोग सोते समय जोर से सांस या खर्राटे लेते हैं। गंभीर स्लीप एपनिया वाले लोगों में नींद के दौरान अचानक मौत और स्ट्रोक का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
इसलिए यह एक साइलेंट किलर बीमारी है। स्लीप एपनिया से निजात पाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना ही काफी है।
वजन कम करना, अच्छा खाना, धूम्रपान छोड़ना और नाक की एलर्जी के लिए सही उपचार लेना इस स्थिति से छुटकारा पाने का आसान तरीका है।
ऑस्टियोपोरोसिस
ऑस्टियोपोरोसिस एक हड्डी की बीमारी है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति अक्सर अपनी स्थिति से पूरी तरह से अनजान होता है, जब तक की वह फ्रैक्चर से न गुजरें।
इसलिए इसे साइलेंट किलर कहते हैं। हड्डियों के घनत्व को प्रभावित करने के अलावा यह ओरल हेल्थ पर भी बुरा असर डालती है।
बता दें कि हड्डियों के किसी प्रकार के रोग से बचने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन जरूरी है।
इसलिए डॉक्टर्स डेली रूटीन में सीढ़ी चलने, पैदल चलने, खूब टहलने के साथ नियमित रूप से जांच कराने की सलाह देते हैं।
डायबिटीज
डायबिटीज एक अन्य साइलेंट किलर है। यह बीमारी दो प्रकार की होती है। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज। टाइप 1 डायबिटीज में पैन्क्रियाज बहुत कम या बिना इंसुलिन का उत्पादन करता है।
जबकि टाइप 2 डायबिटीज आपके ब्लड शुगर के संसाधिात करने के तरीकों को प्रभावित करती है, जिसे ग्लूकोज कहते हैं।
मरीज को शुरूआत में इसके लक्षण महसूस नहीं होते, लेकिन बीमारी बढ़ने पर थकान, वजन कम करना, बार-बार पेशाब आने के साथ बहुत प्यास भी लगने लगती है।
धीरे-धीरे बढ़ने पर डायबिटीज हार्ट, किडनी और आपके वजन को भी बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, स्वस्थ वजन बनाए रखने, सही आहार करने, नियमित व्यायाम और जांच पर ध्यान देने से जटिलताओं को रोका जा सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर सबसे खतरनाक स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है । WHO का अनुमान है कि दुनियाभर में 30-79 वर्ष की आयु के 1.28 वयस्क हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं ।
हाई बीपी को साइलेंट किलर मानने के पीछे कारण है कि इसके कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते। जब लोगों को अचानक से स्थिति की गंभीरता का अहसस होता है, तब तक बीमारी बढ़ चुकी होती है।
यह बीमारी न केवल धमनियों और हृदय को प्रभावित करती है, बल्कि इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा लगातार बना रहता है।
ऐसे में बार-बार नियमित रूप से ब्लड प्रेशर जांचना, पेाटेशियम, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना और स्वस्थ वजन बनाए रखना ब्लड प्रेशर के बढ़ते जोखिम को कम करने का बेहतर तरीका है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज
दिल की कई बीमारियां जानलेवा होती हैं। कोरोनरी आर्टरी डिजीज इनमें से एक है।
यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल को ब्लड और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी आर्टरी सिकुड़ जाती हैं, जिससे सीने में दर्द के साथ दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
सही जांच और सही जीवनशैली को अपनाए बिना इस बीमारी को रोकना लगभग असंभव है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल है, तो नियमित रूप से जांच कराके इसे मैनेज करें।
इसके साथ ही अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन जैसे स्वस्थ भोजन करना और नियमित व्यायाम करना बेहद जरूरी है।
फैटी लीवर डिजीज
शरीर में फैटी लीवर रोग धीरे-धीरे बढ़ता है, इसलिए इसे साइलेंट किलर कहते हैं। फैटी लीवर रोग दो तरह के होते हैं । अल्कोहॉलिक और नॉन- अल्कोहॉलिक ।
जहां तक फैटी लीवर का सवाल है इसमें आपका आहार मुख्य भूमिका निभाता है।
इससे बचने के लिए हेल्दी प्लांट बेस डाइट का चयन करें और कुछ भी अनहेल्दी फैट से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने से बचें।
डॉक्टर्स की सलाह है कि फैटी लीवर डिसीज के लक्षण बहुत जल्दी दिखाई नहीं देते , लेकिन संदेह होने पर ब्लड टेस्ट या अल्ट्रासाउंड की मदद से इस बीमारी का शुरूआती स्टेज में पता लगाया जा सकता है।
साइलेंट किलर बीमारियों के शुरूआत में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन आगे चलकर यह बीमारियां आपकी जान की दुश्मन ना बन जाएं, इससे पहले खुद का ध्यान रखें।
समय- समय पर जांच कराने के अलावा साल में एक बार फुल बॉडी चैकअप जरूर करवाएं।
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