Ayurvedic खाद्य पदार्थों को दवा के रूप में नहीं बेच सकेंगी कंपनियां: FSSAI

आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कोरोना महामारी के बाद बाजार में आयुर्वेदिक दवा के नाम से आयुर्वेदिक आहार उत्पादों की बाढ़ सी आ गई है।

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FSSAI Food Safety and Standards Authority of India
FSSAI

Last Updated on January 26, 2024 by The Health Master

अब कंपनियां आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थों को आयुर्वेदिक दवा के रूप में नहीं बेच सकेंगी। आयुर्वेदिक आहार के लिए एक अलग श्रेणी बनाई गई है और इसके लिए कड़े मानक तय किए गए हैं।

इन्हें बनाने वाली कंपनियों को इसके लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा और नए मानकों के अनुरूप भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कोरोना महामारी के बाद बाजार में आयुर्वेदिक दवा के नाम से आयुर्वेदिक आहार उत्पादों की बाढ़ सी आ गई है।

देशी और विदेशी हजारों कंपनियां आयुर्वेद उत्पाद के नाम पर बिना किसी लाइसेंस के सामान बाजार में बेच रही हैं। आयुर्वेदिक उत्पाद होने के कारण इसका कोई स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ने की वजह से लोग इसके सेवन से गुरेज नहीं कर रहे हैं।

स्पष्ट नियमावली नहीं होने के कारण इनमें खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसीलिए एफएसएसएआइ ने आयुर्वेदिक आहार की नई श्रेणी बनाते हुए उसके उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए नई नियमावली बनाई है।

इसका उद्देश्य आयुर्वेदिक उत्पादों के प्रति लोगों का विश्वास बनाना है।

नियमावली को लेकर अधिसूचना जारी

वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी डीके वर्मा ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि अब आयुर्वेदिक आहार निर्माता और विक्रेताओं को खाद्य सुरक्षा विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए आयुर्वेदिक औषधियों से अलग आयुर्वेदिक खाद्य उत्पादों की पैके¨जग पर एफएसएसएआइ का लोगो लगाना अनिवार्य होगा।

वहीं समय-समय पर खाद्य सुरक्षा विभाग आयुर्वेदिक उत्पादों की जांच करेगा। जांच के दौरान निर्धारित मापदंड पर उत्पाद खरा न होने पर निर्माता और विक्रेता कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

नए नियम के तहत 24 माह तक के शिशुओं के लिए आयुर्वेदिक आहार का उत्पादन अथवा उसकी बिक्री पर रोक रहेगी।

आयुर्वेदिक आहार में विटामिन, खनिज और अमीनो एसिड को मिलाने की अनुमति नहीं होगी। लेकिन आयुर्वेदिक आहार में प्राकृतिक खनिज मौजूद होने पर उन्हें लेबल पर घोषित किया जा सकता है।

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