Last Updated on January 9, 2022 by The Health Master
Serious बीमारियों से बचने के लिए किस age में कराएं कौन सा test
आजकल के बिजी लाइफस्टाइल के चलते अनियमित खान-पान और व्यायाम के लिए समय नहीं निकालपाने की वजह से कम उम्र में शरीर में कई बीमारियां घर कर जाती है.
और जब तक हमें इनके बारे में पता चलता है, काफी देर हो जाती है. ऐसे में हमें या तो जीवनभर इनकी दवाएं खानी पड़ती हैं या फिर बड़े इलाज की तरफ जाना पड़ता है.
इसलिए अगर समय रहते ही हम अपनी हेल्थ की जांच (health checkup) करवा लें तो कैंसर, डायबिटीज और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं.
ऐसे अब आप सोच रहे होंगे भला ऐसी कौन सी जांच है जो हमें करवानी चाहिए? और किस उम्र में इन जांचों को करवाना जरूरी है?
दैनिक भास्कर अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनाजीत चटर्जी (Dr. S Chatterjee) ने उम्र के 5 अहम पड़ाव के बारे में बताया है.
और ये भी बताया है कि किस उम्र में कौन सा टेस्ट करवाना जरूरी है. इस रिपोर्ट में लिखा, अक्सर 20 साल की उम्र के बाद ही शरीर में कई तरह के विकार यानी डिसऑडर (Disorder)आने लगते हैं.
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (ACS) के अनुसार, 20 साल की उम्र के बाद तो महिलाओं में सरवाईकल कैंसर की आशंका बढ़ने लगती है.
वहीं पिछले कुछ समय से तो 30 साल की उम्र के बाद ही लोगों डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ी है.
हालांकि ये भी देखा गया है कि पुरुषों 40 की उम्र के बाद ही हाई बीपी, डायबिटीज और हार्ट डिजीज के खतरे अधिक होते हैं.विज्ञापन
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के अनुसार, जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है, वैस-वैसे इसका असर उसकी स्किन, हेल्थ और क्षमता पर पड़ता है.
मेटाबॉलिज्म में बदलाव होता है, हार्ट की कमजोरी और मोटापा जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं.
ऐसे में दशक को आधार मानते हुए समय-समय पर यदि कुछ शारीरिक जांचें करा ली जाए तो भविष्य में कैंसर (Cancer), डायबिटीज (Diabetes), हार्ट अटैक (Heart Attack), दृष्टिदोष (visual impairments), हड्डियों से संबंधित बीमारियां (bone disorders) और अन्य गंभीर बीमारियों से खुद को बचाकर रखा जा सकता है.
पहला पड़ाव (20 से 30 साल)
इस उम्र में जरूरी है कि हमें ब्लड प्रेशर, हाइट और वजन की जांच करवानी चाहिए. इसके अलावा एचपीपी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human Papillomavirus) टेस्ट भी करवाना चाहिए.
क्योंकि कुछ विशेष प्रकार के एचपीवी महिलाओं में कैंसर का खतरा बढ़ते हैं. इसकी शुरुआत 20 की उम्र में हो जाती है.
दूसरा पड़ाव (31 से 40 साल)
31 साल से 40 साल की उम्र के लोगों को चाहिए कि वो अपना ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायराइड, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट संबंधी टेस्ट जरूर करवाएं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें, तो 22 प्रतिशत महिलाओं की मौत हार्ट अटैक से होती है और हार्ट अटैक से होने वाली मौतों के लिए ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल जैसे कारक जिम्मेदार हैं.
तीसरा पड़ाव (41 से 50 साल)
इस उम्र के लोगों को चाहिए वो समय रहते ही अपनी हार्ट संबंधी जांच, प्रोस्टेट और स्किन कैंसर की जांच, आंखों व दातों की जांच करवा लें.
क्योंकि पुरुषों में 40 की उम्र के बाद प्रोस्टेट ग्रंथि में वृद्धि शुरू हो जाती है. इसे प्रोस्टेटिक हाइपर प्लेसिया कहते हैं.
चौथा पड़ाव (51 से 65 साल)
क्योंकि कोलन कैंसर यानी आंत के कैंसर के 90 प्रतिशत मामले 50 की उम्र के बाद ही देखने को मिलते हैं. इसलिए स्टूल टेस्ट, मेमोग्राम, ऑस्टियोपोरोसिस और डिप्रेशन की जांच अवश्य करवाएं.
इस उम्र में हड्डियों का क्षरण भी शुरू हो जाता है. मेमोग्राम से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है.
पांचवा पड़ाव (65 साल से अधिक उम्र)
65 साल से अधिक आयु के लोगों को चाहिए कि वो आंखों, कानों और शारीरिक असंतुलन की जांच अवश्य करवाएं, क्योंकि इस उम्र के बाद इम्यूनिटी तेजी से घटती है.
देखने और सुनने की क्षमता कम हो जाती है. शरीर का संतुलन बिगड़ने लगता है.
विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार हर पड़ाव में बताई गई जांच को नियमित अंतराल पर कराएं. साथ ही 10 साल के बाद पूर्व की जांचों के साथ ही नई जांच जोड़ें.
ये आदतें भी हैं जरूरी…
डॉ चटर्जी के अनुसार, अच्छे स्वास्थ्य के लिए केवल समय पर जांच करवाना ही काफी नहीं है. इसके लिए आपको कुछ अच्छी आदतों को भी अपनाना होगा.
जैसे रोजाना 30 से 40 मिनट एक्सरसाइज करें. इससे हाई बीपी और स्ट्रोक का खतरा कम होता है. हेल्दी डाइट लें, मतलब कुल खाने का 50% फल और सब्जियां होनी चाहिए. 25% कार्बोहाइड्रेट्स और 25% प्रोटीन की मात्रा खाने में होनी चाहिए.
इसके अलावा रोजाना 7 से 9 घंटे की नींद लेना सेहत के लिए फायदेमंद है. नींद शरीर के हार्मोन को कंट्रोल करती है. अच्छी नींद से इम्यून सिस्टम संतुलित रहता है.
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